दिल्ली में बस नंबर ६२३ में यात्रा करते एक छोटे से बालक का दुस्साहस देखकर आस-पास के यात्रिओं का ध्यान उस की ओर तब गया जब वह सीट पर अकड़ कर बैठ गया और टिकट के पैसे देने से इंकार कर दिया । साथ यात्रिओं ने पूछा -साथ कौन है । कोई नहीं । अकेले हो । तुम्हे डर नहीं लगता अँधेरे में अकेले ? घर में किसी को बता कर आये हो ? और न जाने कितने सवालों के बाद पता चला कि वह सातवीं कक्षा में पड़ता है और घर में किसी को बिना बताये स्कूल से टेस्ट के बाद भाग कर इंडिया गेट घूमने आ गया है । उसने बताया कि उसकी मां फूलों के हार बनाती है व् पिता कन्डक्टर है ।
यह है हमारे देश के नौनिहाल , कर्णधार जो आज बिना टिकट यात्रा कर रहें हैं कल क्या करेंगे ?
Tuesday, February 9, 2010
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सही बात है..यदि शुरात ऐसी होगी तो दुस्साहस बढ़ता ही जाएगा। लेकिन दोषी माँ बाप भी हैं जो अपने बच्चो पर आज की भागम भाग जिन्दगी मे ध्यान नही दे पा रहे...
ReplyDeleteशुरु में ही अहसास कराना होगा कि यह गलत है वरना भविष्य तो इनका बंटाधार होना ही है.
ReplyDeletehame dhyaan dene ki aavshykta hai
ReplyDeletesaadar
praveen pathik
9971969084