Friday, September 3, 2010

कामनवेल्थ गेम्स और दिल्ली

जहाँ एक ओर कामनवेल्थ गेम्स की तैयारिओं में दिल्ली को सजाया जा रहा है, वहीँ दूसरी ओर इन्द्रदेव अति प्रसन्न दिखाई दे रहे हैं। वर्षा का आगमन जहाँ कई दिल्लीवासियों के लिए उमंग एवं हर्ष का विषय है, वहीँ आने वाले अक्तूबर मास के खेलो के लिए परेशानी का मुख्य कारण बन गया है।
आइये एक दृष्टि डालें :

Sunday, April 18, 2010

आओ सोचें , बिजली गुल न हो कुछ ऐसा करें

१। सभी सरकारी कार्यालयों में लंच के समय बतियाँ कम-से कम जलाएं
२। जिस कमरे से बाहर जाएँ, बती बुझा दें
३। प्रकाश जितना चाहें उतनी ही बतियाँ जलाएं ।
४। सुबह पांच बजे घर से बाहर घूमने अवश्य जाएँ
५। सूर्य के प्रकाश का अधिकाधिक सदुपयोग करें

Saturday, March 20, 2010

Tuesday, March 2, 2010

आवाज़ दो हम एक हैं सभी धुम्रपान विरोधी

HELPLINE TOLL FREE NUMBER—1800110456

This is the number where you can report against smoking in public place. For the welfare of the society spread this message as much as you can.

इस नंबर पर आप सार्वजनिक स्थान में धूम्रपान के खिलाफ रिपोर्ट कर सकते हैं .सर्वे भवन्तु सुखिन: , सर्वे सन्तु निरामय : की भावना के साथ इस सन्देश को आप अधिकाधिक लोगों को अवगत कराएँ .

हेल्प लाईन टोल फ्री नंबर -1800110456

Tuesday, February 16, 2010

बिना इजाज़त इस ब्लॉग से कुछ भी कापी करना मना है अगर आप ऐसा करते हैं तो आप कॉपीराईट कानून का उलन्घन करते हैं, और फिर हम जिम्मेवार नहीं होंगे.

Tuesday, February 9, 2010

दिल्ली में बस नंबर ६२३ में यात्रा करते एक छोटे से बालक का दुस्साहस देखकर आस-पास के यात्रिओं का ध्यान उस की ओर तब गया जब वह सीट पर अकड़ कर बैठ गया और टिकट के पैसे देने से इंकार कर दिया । साथ यात्रिओं ने पूछा -साथ कौन है । कोई नहीं । अकेले हो । तुम्हे डर नहीं लगता अँधेरे में अकेले ? घर में किसी को बता कर आये हो ? और न जाने कितने सवालों के बाद पता चला कि वह सातवीं कक्षा में पड़ता है और घर में किसी को बिना बताये स्कूल से टेस्ट के बाद भाग कर इंडिया गेट घूमने आ गया है । उसने बताया कि उसकी मां फूलों के हार बनाती है व् पिता कन्डक्टर है ।
यह है हमारे देश के नौनिहाल , कर्णधार जो आज बिना टिकट यात्रा कर रहें हैं कल क्या करेंगे ?

हे naari

हे नारी


नारी तुम कितनी भोली हो


मन ही मन उसे उधार देने को आतुर होगई ,


जो निमिष में तुम्हारी कल्पना से कई गुणा अधिक

-

बटोर सकता है इस समाज में

------

यत्र तत्र सर्वत्र बहुत विस्तीर्ण है उसका क्षेत्राधिकार


और इसके समक्ष लघुतम दीख पड़ता है

---

तुम्हारा सामर्थ्य ,सत्ता ,प्रभुत्व और अस्तित्व .


..२०१०.
-----------------------------------------------------------------------

Sunday, January 24, 2010

आत्म विश्वास

कल मेट्रो स्टेशन तक जाने के लिए मैं जिस रिक्शे पर था , उसे चलने वाला एक कम्बल ओढ़े रिक्शा चला रहा था । भीड में से निकलते समय वह बार -बार कहते जा रहा था कि मेरे रिक्शे पर बैठ कर मन को प्रसन्न रखो , कभी दुखी मत होना । मेट्रो स्टेशन पहुँच कर पूछा -" कितने पैसे "? बाबू जी जितने भी आप दें , ठीक है , मैं गरीब जरूर हूँ लेकिन दिल का राजा हूँ । बारहवीं पास हूँ । मैंने पूछा - कोरिअर कंपनी में कोई नौकरी करना चाहोगे ? " नहीं साहब , अब इसी रिक्शा चलाने में आनंद आता है , रोज़ के अढाई -तीन सौ रूपया कमा लेता हूँ । किसी की नौकरी करना अच्छा नहीं लगता।" मुस्कराते हुए उसने ने जवाब दिया और चल दिया ।

मुझे वह कहानी याद आ गयी , जब उदास सिकंदर को एक फकीर ने कहा था में कुछ न होते हुए भी आनंद में हूँ और तुम इतने मुल्कों को जीतने के पश्चात् भी दुखी हो , दुनिया को जीतने के लिए।

आनंद हमारे पास है , प्रभु की क्रिपायों के रूप में , हम स्वयं ही दुखी होते हैं .