Friday, September 3, 2010
कामनवेल्थ गेम्स और दिल्ली
आइये एक दृष्टि डालें :
Sunday, April 18, 2010
आओ सोचें , बिजली गुल न हो कुछ ऐसा करें
२। जिस कमरे से बाहर जाएँ, बती बुझा दें
३। प्रकाश जितना चाहें उतनी ही बतियाँ जलाएं ।
४। सुबह पांच बजे घर से बाहर घूमने अवश्य जाएँ
५। सूर्य के प्रकाश का अधिकाधिक सदुपयोग करें
Saturday, March 20, 2010
Tuesday, March 2, 2010
आवाज़ दो हम एक हैं सभी धुम्रपान विरोधी
HELPLINE TOLL FREE NUMBER—1800110456
This is the number where you can report against smoking in public place. For the welfare of the society spread this message as much as you can.
इस नंबर पर आप सार्वजनिक स्थान में धूम्रपान के खिलाफ रिपोर्ट कर सकते हैं .सर्वे भवन्तु सुखिन: , सर्वे सन्तु निरामय : की भावना के साथ इस सन्देश को आप अधिकाधिक लोगों को अवगत कराएँ .
हेल्प लाईन टोल फ्री नंबर -1800110456
Wednesday, February 17, 2010
Tuesday, February 16, 2010
Tuesday, February 9, 2010
यह है हमारे देश के नौनिहाल , कर्णधार जो आज बिना टिकट यात्रा कर रहें हैं कल क्या करेंगे ?
हे naari
हे नारी
नारी तुम कितनी भोली हो
मन ही मन उसे उधार देने को आतुर होगई ,
जो निमिष में तुम्हारी कल्पना से कई गुणा अधिक
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बटोर सकता है इस समाज में
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यत्र तत्र सर्वत्र बहुत विस्तीर्ण है उसका क्षेत्राधिकार
और इसके समक्ष लघुतम दीख पड़ता है
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तुम्हारा सामर्थ्य ,सत्ता ,प्रभुत्व और अस्तित्व .
८.२.२०१०.
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Sunday, January 24, 2010
आत्म विश्वास
कल मेट्रो स्टेशन तक जाने के लिए मैं जिस रिक्शे पर था , उसे चलने वाला एक कम्बल ओढ़े रिक्शा चला रहा था । भीड में से निकलते समय वह बार -बार कहते जा रहा था कि मेरे रिक्शे पर बैठ कर मन को प्रसन्न रखो , कभी दुखी मत होना । मेट्रो स्टेशन पहुँच कर पूछा -" कितने पैसे "? बाबू जी जितने भी आप दें , ठीक है , मैं गरीब जरूर हूँ लेकिन दिल का राजा हूँ । बारहवीं पास हूँ । मैंने पूछा - कोरिअर कंपनी में कोई नौकरी करना चाहोगे ? " नहीं साहब , अब इसी रिक्शा चलाने में आनंद आता है , रोज़ के अढाई -तीन सौ रूपया कमा लेता हूँ । किसी की नौकरी करना अच्छा नहीं लगता।" मुस्कराते हुए उसने ने जवाब दिया और चल दिया ।
मुझे वह कहानी याद आ गयी , जब उदास सिकंदर को एक फकीर ने कहा था में कुछ न होते हुए भी आनंद में हूँ और तुम इतने मुल्कों को जीतने के पश्चात् भी दुखी हो , दुनिया को जीतने के लिए।
आनंद हमारे पास है , प्रभु की क्रिपायों के रूप में , हम स्वयं ही दुखी होते हैं .